उन दिनों से काफी वक्त हो गयादिल दिमाग सब कुछ रीत से सख्त हो गयाकाश के तुम कुछ बंदोबस्त कर जातीअपने गुज़िश्ता का तस्वीर छोड़ जाती।हम भी थे तुम भी थेपल्लू पकड़कर वो लड़की भीये दुनिया कितनी ज़ख्म दे गयीहमे हम जाने बिना सरफ़रोश कह गयी।अपने दायरे में रहना सीखिए जनाबसभी नर -नारी से कहContinue reading “Filter Kaapi(फ़िल्टर कIपी)”
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On Raksha Bandhan (रक्षा बंधन पे )
शायद ये किसी का कसूर न होये हाथ हमेशा भाई के मुट्ठी पे न होअपने पैर पे खड़े होके जीना सीखा हैतू आगे भी कमज़ोर या मजबूर न हो Iकर आशा कि ये दुनिया बड़ी हो जायेहर लिंग को समान इज़्ज़त मिल जायेये रक्षा के बंधन बिन रिवाजइंसान को इंसान समझ दी जाये I WrittenContinue reading “On Raksha Bandhan (रक्षा बंधन पे )”